दूरसंचार सेक्टर में निजी सेवा प्रदाताओं का प्रवेश, अपने साथ स्वतंत्र विनियमन की अनिवार्य आवश्यकता को लेकर आया। दूरसंचार सेवाओं के लिए प्रशुल्क का निर्धारण/संशोधन सहित दूरसंचार सेवाएं, जो कि पूर्व में केन्द्रीय सरकार में निहित थे, को विनियमित करने के लिए, संसद के अधिनियम द्वारा दिनांक 20 फरवरी, 1997 को भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (भादूविप्रा) की स्थापना हुई, जिसे भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण अधिनियम 1997 कहा जाता है।
भादूविप्रा का मिशन है-देश में दूरसंचार सेवाओं के विकास के लिए ऐसी रीति से और ऐसी गति से परिस्थितियां सृजित और संपोषित करना, जो भारत को उभरते हुए वैश्विक सूचना समाज में एक अग्रणी भूमिका निभाने के लिए समर्थ बना सकंे। इसके प्रमुख उद्देश्यों में से एक है-एक उचित और पारदर्शी नीति व वातावरण प्रदान करना, जो सभी के लिए समान अवसरों को प्रोत्साहित करता है तथा समुचित प्रतिस्पर्धा को सुकर बनाता है।
उपर्युक्त उद्देश्य के अनुसरण में, भादूविप्रा ने उसके सम्मुख आए मुद्दों पर उपयुक्त कार्रवाई करने के लिए, समय-समय पर बड़ी संख्या में विनियम, आदेश एवं निर्देश जारी किए गए हैं तथा भारतीय दूरसंचार बाजार के विकास के लिए सरकारी स्वामित्व एकाधिकार से बहु-प्रचालक, बहु-सेवा खुली प्रतिस्पर्धी बाजार हेतु अपेक्षित दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। जारी निर्देश, आदेश तथा विनियम, प्राधिकरण के अभिशासन के साथ-ही-साथ प्रशुल्क, अंतःसंयोजन एवं सेवा की गुणवत्ता के मानक सहित विषयों की विस्तृत रेंज को कवर करते हैं।
भादूविप्रा अधिनियम को दिनांक 24 जनवरी, 2000 से प्रभावी अध्यादेश से संशोधित किया गया, जिसमें भादूविप्रा से निर्णायक एवं विवाद कार्यों को लेने के लिए, दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय अधिकरण (टीडीसैट) की स्थापना की गई। टीडीसैट का गठन लाइसेंसदाता एवं लाइसेंसधारी, दो या अधिक सेवा प्रदाताओं, सेवा प्रदाता तथा उपभोक्ता समूहों के बीच विवादों पर निर्णय करने एवं भादूविप्रा के किसी निर्देश, निर्णय या आदेश के विरूद्ध अपील को सुनने एवं निस्तारण के लिए किया गया है।